अक्सर हम सभी पानी की किल्लत के बारे में खबरे देखते है और सुनते है की देश के विभिन्न शहरों या क्षेत्रों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। अक्सर ऐसा भी सूना जाता है की पानी की लाइन में दो गुटों का लोगो की लड़ाई हो गई और कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
कुछ महानुभाव तो गरीबो के सच्चे हमदर्द बनकर सरकार की कमियों की सूचि तक बना डालते है और कहते है की यह सरकार निकम्मी है जो गरीबो को पानी भी नहीं उपलब्ध करा पा रही है।
तो आइये ऐसे ही एक पानी की समस्या से ग्रस्त एक क्षेत्र की सच्चाई से मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ।
सोनिया विहार,दिल्ली , यमुना नदी के किनारे बसा हुआ एक घनी आबादी वाला इलाका है, जंहा पर पिछले कई वर्षो से पीने के पानी के लिए आम लोगो को कई मीटर लम्बी लाइन लगानी पड़ती थी और तब कहीं जाकर उन्हें एक दिन के पीने का पानी मिल पता था। और कई बार तो "जिसकी लाठी उसका पानी " जैसे हालात होते थे। वजह से लड़ाई-झगडे की घटना की जानकारी आपको सम्बंधित थाने से मिल जाएगी। पर यह तो गुजरे वक्त की बात है ।
दुःख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे।
सरकारों के बदलने के साथ क्षेत्र में भी बदलाव हुआ और अब आया ज़माना हर गली में २-३ टूंटियो का।
मतलब यह है की अब पीने के पानी के लिए लम्बी लाइन नहीं लगानी पड़ती है। आपको बस एक काम करना है की अपने घर से एक पाइप लाइए और पानी को अपने घर पहुंचिए क्योंकि टूंटी तो सरकारी है बिल भरने की कोई चिंता भी नहीं है। और तो और आलम यह है की लोगो के घर के आगे की धुलाई भी इसी पीने के पानी से होती है। इसे कहते है सुविधा, जो घर तक पहुंचे और वो भी मुफ्त में।
यह तो वही मिसाल है जो आज कल सोशल मीडिया पर चाय हुई है की आरक्षण हमें मिलना चाहिए क्यूंकि हमारे बाप-दादा ने कष्ट झेले थे।
यही हाल सोनिआ विहार का है क्योंकि हमारे बाप-दादा ने पिने के पानी के लिए लाइने लगाई थी तो पानी को जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करने की सुविधा, आजादी हमें है।
आज शायद सोनिआ विहार निवासी इस बात को भूल गए की जिस पानी को इस तरह बर्बाद कर रहे है वही पीने का पानी देश के कुछ हिस्सों में नहीं मिल पा रहा है। वंहा भी पानी को लेकर लड़ाई हो रही है पर हम भूतकाल के दुखों का हर्ज़ाना वर्तमान की बर्बादी से वसूलते है।
"राजीव मिश्रा "
कुछ महानुभाव तो गरीबो के सच्चे हमदर्द बनकर सरकार की कमियों की सूचि तक बना डालते है और कहते है की यह सरकार निकम्मी है जो गरीबो को पानी भी नहीं उपलब्ध करा पा रही है।
तो आइये ऐसे ही एक पानी की समस्या से ग्रस्त एक क्षेत्र की सच्चाई से मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ।
सोनिया विहार,दिल्ली , यमुना नदी के किनारे बसा हुआ एक घनी आबादी वाला इलाका है, जंहा पर पिछले कई वर्षो से पीने के पानी के लिए आम लोगो को कई मीटर लम्बी लाइन लगानी पड़ती थी और तब कहीं जाकर उन्हें एक दिन के पीने का पानी मिल पता था। और कई बार तो "जिसकी लाठी उसका पानी " जैसे हालात होते थे। वजह से लड़ाई-झगडे की घटना की जानकारी आपको सम्बंधित थाने से मिल जाएगी। पर यह तो गुजरे वक्त की बात है ।
दुःख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे।
सरकारों के बदलने के साथ क्षेत्र में भी बदलाव हुआ और अब आया ज़माना हर गली में २-३ टूंटियो का।
मतलब यह है की अब पीने के पानी के लिए लम्बी लाइन नहीं लगानी पड़ती है। आपको बस एक काम करना है की अपने घर से एक पाइप लाइए और पानी को अपने घर पहुंचिए क्योंकि टूंटी तो सरकारी है बिल भरने की कोई चिंता भी नहीं है। और तो और आलम यह है की लोगो के घर के आगे की धुलाई भी इसी पीने के पानी से होती है। इसे कहते है सुविधा, जो घर तक पहुंचे और वो भी मुफ्त में।
यह तो वही मिसाल है जो आज कल सोशल मीडिया पर चाय हुई है की आरक्षण हमें मिलना चाहिए क्यूंकि हमारे बाप-दादा ने कष्ट झेले थे।
यही हाल सोनिआ विहार का है क्योंकि हमारे बाप-दादा ने पिने के पानी के लिए लाइने लगाई थी तो पानी को जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करने की सुविधा, आजादी हमें है।
आज शायद सोनिआ विहार निवासी इस बात को भूल गए की जिस पानी को इस तरह बर्बाद कर रहे है वही पीने का पानी देश के कुछ हिस्सों में नहीं मिल पा रहा है। वंहा भी पानी को लेकर लड़ाई हो रही है पर हम भूतकाल के दुखों का हर्ज़ाना वर्तमान की बर्बादी से वसूलते है।
"राजीव मिश्रा "
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