जो दिखता है वो हमेशा वैसा नहीं होता। - Life changing Story By Rajiv Mishra (Real Story)

👉 जो दिखता है वो हमेशा वैसा नहीं होता। 



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यह घटना आपको अपने अंदर बदलाव लाने में काफी ज्यादा सहायक होगी।  बस आपको अपना नजरिया बालने की आवश्यकता है 

दिसंबर माह की सर्दी में अगर आपको कोई युवक सिर्फ एक कमीज पहन कर जाता हुआ दिखे और कपडे भी अच्छे पहने हो तो आमतौर पर लोगों का विचार क्या होता है उस युवक के बारे में???

कुछ ज्यादा ही हवा में है, ठंड में एक कमीज पहन कर घूम रहा है।
ज्यादा ही गर्मी चढ़ रही है।
हीरो बना घूम रहा है है सर्दी में।
जवानी चा रही है लड़के को
इत्यादि........। 

पर लोग जो सोच रहे थे क्या वह सही था ? आइये उन्हें चश्मा उलटा करने की आवश्यकता है। 

वह युवक मैं ही था पर मैं लोगो की सोच को लेकर नहीं जीता।  मेरा चश्मा उन्हें देखने का कुछ अलग ही है।
बात दिसंबर के एक रविवार की है, मैं नहा कर साफ़ धुले हुए वस्त्र पहन कर  अपनी मंजिल से निचली मंजिल पर आया।  मेरी मुम्मी ने मुझे कोई सामान लालाने के लिए बाजार भेजा।  मेरे बाजार जाने से वापस आने तक जिसने भी मुझे देखा उसने घर कर के ही देखा क्यूंकि मैं सिर्फ चप्पल पहन कर एक सफ़ेद शर्ट और जीन्स  में निकला था और क्यूंकि मैं नहा कर और साफ़ कपडे पहन कर निकला था तो लोग ये भी नहीं सोच पा रहे थे की मैं किसी गरीब परिवार से हूँ।  और कुछ लोगों से मुझे ऐसे ही वाक्य बोले पर मैं उन्हें जवाब नहीं देना चाहता था। 

आगे मेरी मुलाक़ात मेरे भतीजे  आशुतोष मिश्रा से हुई।  मैं थोड़ी बहुत बातचीत करके आगे बढ़ गया। कहानी में इस किरदार का जिक्र इस बात को सत्यापित करता है की यह एक वास्तविक घटना है और मैं एक सफ़ेद शर्ट में ही जा रहा था।  पर मैं जानता हुनकी आशुतोष ने ऐसा कोई भी भाव मेरे लिए नहीं रखा होगा। 😀😀😀

जब मैं बाजार पहुंचा तो एक दुकानदार ने पूछ ही लिया "क्या बात है इतनी ठंड़ में एक शर्ट में घूम रहे हो ?" मैंने उन्हें वास्तविक कारण बताया।
आज अमावस्या के कारण मेरे घर में हवं है और हवं मुझे ही करना है।  जब नहा कर के आया तो मम्मी ने कुछ फल लाने के लिए मुझे बोला बोला।  मैं क्यूंकि नाहा चुका था और हवं के लिए धुले हुए वस्त्र पहन चुका था।  मेरे जितने भी गर्म कपडे हैं वो पहने हुए थे।  अब अगर मैं उन्हें पहनता तो मुझे दुबारा से नहा कर धुले हुए वस्त्र पहने होंगे इसलिए मैं सिर्फ शर्ट में ही बाजार आ गया।  न तो गर्मी चढ़ी है, ना जवानी और ना ही कोई होरोगीरी। 




इसी तरह हम जाने अनजाने दूसरों के बारे में अपनी राय बना लेते है पर कभी कभी वास्तविकता कुछ अलग ही होती है। मैं क्यूंकि एक टीचर हूँ तो अक्सर नए स्टूडेंट्स से मिलता रहता हूँ और उनके बारे में मैं कोई अनोखी सोच नहीं रखता।  जैसा मैंने बताया की मेरे चश्मा उलटा है लोगो को देखने का 

अपनी सोच बदलें और दूसरों को भी बदलने का मौक़ा दें। 

दूसरों के Judge करने की दैवीय शक्ति का प्रयोग ना करें, लोगों की पहचान करना सीखें।  सफलता पाने के लिए आपको अपनी सोच को बदलना होगा।  किसी को जाने बिना उसके बारे में कोई राय बना लेना हानिकारक हो सकता है। 

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आप चाहे तो अपना नाम लिख कर कमेंट कर सकते है ताकि मुझे पता चले की आपने इसे पढ़ा है।  धन्यवाद 

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